पांच वर्ष बाद अंकपत्रों में नहीं होगा संशोधन
वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न परीक्षाओं के अंकपत्र व प्रमाणपत्र में किसी प्रकार का संशोधन अब पांच वर्ष के भीतर ही होगा। परीक्षा परिणाम घोषित होने के पांच वर्ष बाद अंकपत्रों के संशोधन के लिए आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।
कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई परीक्षा समिति की बैठक यह फैसला लिया गया। 2012 वर्षीय परीक्षा का अब तक अंकपत्र न लेने वाले संबद्ध 14 महाविद्यालयों से तीन अक्टूबर तक का मौका देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद भी अंकपत्र न ले जाने वाले महाविद्यालयों को वर्ष 2013 के परीक्षा आवेदन पत्र से वंचित कर दिया जाएगा। दूसरी ओर कुछ महाविद्यालयों को जिस नाम से मान्यता मिली है उससे इतर पैड व मोहर का इस्तेमाल करने को समिति ने अनुचित माना और चेतावनी देने का निर्णय लिया। बैठक प्रो. यदुनाथ दुबे, प्रो. राम किशोर त्रिपाठी, प्रो. शारदा चतुर्वेदी, प्रो. सदानंद शुक्ल, उप कुलसचिव महेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे।
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